Sunday, May 13, 2012

माँ

माँ, कतेक नीक तू
तोहर बरोबरि के क सकत
एहि धरती पर आनलय हमरा
तोहर कोचा पकरि के 
चलब सिखालाहूँ
तोहर इशारा से एहि दुनिया के देखलहुं 
भिजल ओछौन पर तोरा सुतैत
अपना के सुखल पर सुतल देखलहुं
थापर लात खायत खायत हमरा तैयो
दूध पियाबैत  रहलें
अपना भूखल रही हमरा खुएलें
पेट जारि के हमरा पढेलें
माँ, तोंही टा इ क सकैत छलें
ककरा एतेक ममता हेतैक, 
ककरा एतेक प्रेम हेतई,
हमरा बुझने ककरो नहि
लेकिन हम की केलियौ
छोडि  के स्वार्थ में लीन
अपन कैरियर के लेल 
अपना लेल, एतेक दूर
एतेक ओझरायल 
 हम एतेक अभागल
एखन तोरा से एतेक दूर छियौ
पाबनि तिहार याद क क अपना के खूब बुझैत छि
मुदा तू एहेन जे सदिखन हमर निक सोचैत छें 
हम बेईमान बुडबक एहेन की कहिओ गे माँ
कतेक कर्ज छौ तोहर ......
ओना माँ के कर्ज नहि होई छै?
मों होइत अछि खूब सेवा करी तोहर
मुदा तू त आरो ककरो माँ छिही ने 
कोना छोरभी ओकरा 
हमर कखन पूरत इ कामना
माँ हम इ नहि जानी
कहियो त तोहर कृपा हेतई
भरि पेट सेवा करब 
तोहर आशीर्वाद त भेटबे करतै
आई नहि त काल्हि आर नहि त कहिओ
इंतज़ार छै ओहि दिन के जखन 
अपन मन के करब 
तोरा पैर लग बैस के 
अपन आनंद के खोज
असीम आनंद के खोज.