Thursday, April 27, 2017

पंडित मधुकांत झा मधुकर- श्रद्धांजलि

२६.४.२०१७ के १२ बजे दिन हिंदी, संस्कृत, मैथिली के उद्भट विद्वान, आदर्श शिक्षक, बिषय कीर्तन के महारथी,एवं महान शिव-शिवा भक्त पंडित मधुकांत झा "मधुकर" अपन नश्वर  शरीर त्यागि के नीलकंठ धाम के लेल प्रस्थान केलैथ. 

मिथिलाक दोसर विद्यापति के रूप मे चर्चित स्व० मधुकर बाबा सहरसा जिलाक चैनपुर ग्रामक निवासी छलथि। स्व० मधुकर जी एकटा अप्रितम शिव-शिवा के भक्त और संगहि संस्कृत, हिंदी आ मैथिली भाषा साहित्य के श्रष्टा के रूप मे मानल-जानल  जाइत छथि। श्री मधुकांत झा "मधुकर" जी अपन पिता स्वरूप लाल झा और माता छेदनी देवी के निरंतर प्रयास सँ शिक्षा-दीक्षा प्राप्त कऽ शिक्षक पद के बखूबी दायित्व निर्वहन केलनि। अपन शिक्षण काल में  मधुकर बाबा कतेक छात्र सब के अपन विद्वता एवं अभिभावकत्व से अनुग्रहीत एवं प्रभावित केलखिन. शिक्षक के रूप में बेसी दिन ओ चैनपुर स्कूल मे ही रहलैथ. अपन शुरुआती दिन मे पुराण के वाचन एवं बिषय कीर्तन प्रभावशाली ढंग से केलखिन. हुनकर प्रवचन गंभीर एवं उत्प्रेक होइत छल. कैक बेर हमहू हुनका प्रवचन के साक्षी भेल छि. 

अपन शिक्षण पेशा के संगे लेखन कार्य मे सेहो महारत हासिल केलनि। १९६८ सँ १९७४ धरि  मधुकर बाबा आकाशवाणी पटना मे योगदान दऽ सांस्कृतिक प्रवचन के माध्यम सँ  समाज के नवचेतना प्रदान केलथि आ राज्य स्तर पर अपना के स्थापित केलैथ। मैथिलि भक्ति संगीत में एकटा ओ पैघ हस्ताक्षर छैथ. हुनक प्रकाशित रचना मे समाज सौगात नवीन नचारी अभिनव नचारी, मधुकर नचारी, नीलकंठ मधुकर पदावली समलित अछि। ओहि प्रकार नारद भक्ति सूत्र केर मैथिली अनुवाद सेहो कऽ मिथिला के नव दिशा आ ऊंचाई प्रदान केलनि। हुनकर किछ कृति एखनो अप्रकाशित छै, जाकर लेल हमरा सब के प्रयास करबाक बेगरता छै संगहि ओहि कृति सब के डिजिटल रूप में राखे के प्रयास सेहो आवश्यक.

मधुकर बाबा १९७१ मे नीलकंठ कमरथुआ संघ के स्थापना केलनि जे परम्परा आयो चली रहल अछि। ताहिके अंतर्गत भादो  मास मे हजारों कमरथुआ हरे-राम हरे राम..हरे-कृष्ण आ सदाशिव केर कीर्तन करेत बैद्यनाथ धाम जायत  छथि। 

मधुकर बाबा मिथिला मे अध्यात्म आ समाजसेवा के नव आयाम देलनि। 

डिम डिम डमरू बजाबय छै हमर जोगिया.., हम आनंदे रहबय हौ..., अहो शिव महेश्वर..., बसहा चढ़ल शिव शंकर परम सुहावन हे ...., आबहु त आबS महेश आबS उगना के भेष में..., उमापति आब करू जनि देरी..., भोला कठोर किये भेलिये यौ..., कमरथुआ हौ भाय, बाबा के सुरतिया मन में राखिहS..., नीलकंठ बाबा बड उदार कमरथुआ ......, हमरा केवल एक भरोसा नीलकंठ दानी के..., ककरा कहब हम, कतय गेला भोला बम..., हे माय गमाय देलों सब दिन घूमि आय शरण तकि आयल छि..., जगत जननी कहू कहिया जगत कल्याण करबे माँ..., कोन कलम से लिखलS हौ बाबा हमरा सबहक माथ...,भोला के महिमा अपार रे सिनेहिया..., हे जगतारिणी वीणा पुस्तक धारिणी विनय सुनाबय छि..... इत्यादि कालजयी नचारी एवं देवी गीत के रचयिता छैथ.  

बाबा के अवसान हमरा सबहक लेल अपूरणीय क्षति छिये. 
आय हिनक निधन सँ चैनपुर सहित समूचा मिथिलांचल शोकाकुल ऐछ.