Monday, August 19, 2013

रक्षा बन्धन

हाँ, त एक बेर फेर राखी के पावनि आबि गेल. भाय आ बहिन के अप्रतिम प्रेम के पावनि. किस्सा कहानी त ढेरिक रास छै एही पावनि के विषय में जे की इंद्र के इन्द्रानी बन्हने रहे राखी देवासुर संग्राम शुरू होई के समय में, कर्णावती हुमायूं के राखी भेजने छल अपन रक्षा करय के लेल इत्यादि-इत्यादि. मुदा सामान्यतया एही पावनि के भाय-बहिन के प्रेम के पावनि हि कहल जायत छै. एही में बहिन राखी बान्हि एक प्रकार के सूत्र बान्हि  देत छै जे भाय के हर-समय हर क्षण रक्षा करैत रहत त दोसर दिस भाय सेहो सब समय में अपन बहिन के रक्षा करय के प्रण लेत छैथ.

इ पावनि हमरा सब बेर कने काल के लेल दुखी क देत ऐछ. अपन कियो सहोदर बहिन नहीं ऐछ हमरा. ओना ढेरों पितियौत, पिसियौत, संगी सबहक बहिन ऐछ, जे हमर राखि के सुख हर बेर पूरा क देत रहल ऐछ, मुदा मोन  में कने कसक रही जायत ऐछ. हमर किछ मित्र के ढेरिक रास बहिन रहय आ जखन ओ सब भरि हाथ राखि बान्हि शान से निकलैत छल त हमरा इर्ष्या होइत छल, ओकरा सबहक भाग्य पर.

मोन के बोझिल होइत देखैत एक बेर सब भाय बहिन के राखी पावनि के बधाई प्रेषित करैत छि.

Thursday, May 23, 2013

बाबा धाम

कुमोद भैया अपन बेटा के उपनयन करय के सोचलैथ आ विचार भेलैन जे बाबा धाम में इ यज्ञ कैल जाय. हमरो नोत भेटल. हमरा बड्ड प्रसन्नता भेटल जे  शायद आब बाबा के बुलाबा आबि गेल ऐछ. गाम में कहल जायत छै जे जा धरि बाबा नहि बजेतौ ता धरि बाबा के नगरिया नहि जा सकब. एतेक ट1 के उमर में दू बेर देवघर जाय के मौका भेटल छल. पहिल बेर त हम लगभग १२ बरस के रही. ओही समय में हम अपन कक्का के संग दसहरा के समय में गेल रही. कने-कने याद ऐछ, मंदिर के गेट धरी गेल रही, मुदा पूजा नहीं क सकल रही, किये त बड्ड भीड रहैक. दोसर बेर कुनु परीक्षा देबय लेल गेल रही, ओही बेर एतेक समय नहीं छल वा इ कही जे समय नहीं निकाल सकलहु बाबा के पूजा के लेल. एही बेर त सोचि लेलहू जे इ मौका त हम नहि छोरब. बाबा के दर्शन त करबे करब. पूर्व एक्सप्रेस से विदा भेलहु आ फेर पहुँच गेलहु बाबा धाम. कुमोद भैया हमर सबहक आ अन्य आगंतुक सब के रहय के इंतज़ाम बाबा के मंदिर के लग में केने रहैथ. ठीक-ठाक आवास छल. अगिला दिन भोरे विचार भेल बाबा के पूजा करय के. स्नान केलहु आ एकटा गमछा लपेट के चललहू पूजा के लेल. मुदा इ की देखय छि, उमरल भीड, कतेक लोक, अथाह समुद्र जकाँ. संग में श्रीमती जी सेहो रहैथ, तें, हिम्मत आरो जबाब द देलक. बड्ड पैघ लाइने लागल छल आ उम्मीद नहीं छल जे आय फेर पूजा क सकब. पनडा सबहक सहयोग लेबाक कोशिस केलहु, मुदा सफलता नहीं भेटल. मोंन में हुए, जे एही ठाम आबि जेने  से की हैत, बाबा के मर्जी हेते तखने ने पूजा क सकब. किछु लोक कहे जे जखन आबि गेलहु त पूजा त हेबे करते, बाबा सब नीके कर्थुन. विश्वासे नहीं हुए. बड्ड असमंजस में रही. कनेक काल के बाद कुमोद भैया के पंडितजी हि किछ व्यवस्था केलैथ आ कोहुना मंदिर में हमरा सब के ढूका देलैथ. मंदिर के भीतर त बड्ड अव्यवस्था. एतेक कम जगह में एक संग एतेक भीड. लोक पर लोक खसैय, सम्हारनाय मुश्किल. हमरा त एखनो भरोस नहीं छल. पूजा हैत की नहि , इ त दूर के गप, जां भाइयो जाय त निक्लब कोना. मुदा तखने एकटा रेला आयल आ हमरा सब के आगाँ ठेल देलक आ बुझायल जे कने जगह बनल. कहुना हिम्मत बान्ही कोशिस केलहु आ बाबा लग पहुन्च्लाहू आ जल चढेलाहू बाबा के. बुझा पडल जे कतेक बड़का युद्ध जीत  लेलहू. मोन  में संतोष सेहो भेल जे बाबा अर्जी सुनी लेलक.

एखन त कुनु ख़ास मौसम नहीं छल भीड के, मुदा तखन इ स्थिति छल. सोचे लग्लाहू जे भादव में जे अपन गाम सबहक लोक जायत छैथ बाबाधाम, ओ कोना पूजा करैत हेताह. ओतेक भीड़ में पूजा करने, कफ़न बान्हि युद्ध मैदान में जाय के बराबर ऐछ हमरा लेल. बूढ़ आ बच्चा सब के की हाल होयत हेते, सोचिये टा सकैत छि. देह सिहरी जायत ऐछ कल्पना क क. जां मंदिर के भीतर श्रद्धालु के नियंत्रित कायल जाय त समस्या के समाधान कयल जा सकैत ऐछ. एखन मंदिर के अन्दर कुनु नियंत्रण नहीं ऐछ. जे बलबत्तर, ओकरे राज. पंक्तियों में पाडा सब पाय ल क श्रद्धालु के लेल शोर्ट कट के प्रयास करैत ऐछ. पुलिस के व्यवस्था त ऐछ, मुदा क्रियान्वयन किछ नीक जकाँ भ सकैत ऐछ. भीड़ के नियंत्रण करय लेल पुलिस सोटा बर्साबैत ऐछ, श्रद्धालु पर. इ निक नहीं लागल. ओही क्षेत्र के लोक के त पता छै, मुदा बाहर के लोक के इ बर्दाश्त नहीं भ सकैत छै आ एही से रावणेश्वर बैद्यनाथ के कुव्यवस्था के ख़राब सन्देश जायत बहार के लोक में. झारखण्ड सर्कार जां एही अव्यवस्था के ठीक क लिए त बैद्यनाथ धाम आरो पर्यटक आ श्रद्धालु के आकर्षित क सकत.

दोसर बात, बैद्यनाथ धाम परिसर में त पंडा सबहक अखंड साम्राज्य बुझायत ऐछ. ते कुनु नियम कानून ख़ास प्रभावी नहीं भ रहल ऐछ. हर एक काज के लेल जे मोन  से पैसा मंगेत ऐछ इ पंडा सब. एही से लोक सब के धार्मिक भावना निश्चित रूपें आहात होइत हैत. एही दिश झारखण्ड सरकार के ध्यान देबय पडत.

हम बाबा बासुकी नाथ के पूजा सेहो नीक जकाँ केलहु, ओही ठाम बाबा धाम एहेन भीड नहीं छल. मुदा ओही ठाम भी मंदिर के भीतर वैह हाल छल. अनियंत्रित.

ओना मोटा मोटी बाबाधाम के यात्रा निक रहल आ बाबा के अर्चना क क मोन प्रसन्ना भेल. बाबा वैद्यनाथ सब पर अपन कृपा बनने राखैथ. जय नील कंठ.

Monday, April 15, 2013

याद (जुड़ शीतल/सिरुआ)

आय जुड़ शीतल माने सिरुआ पाबनि थिक. हमरा गाम में एकरा सिरुआ-विसुआ सेहो कहल जायत छै, पता नहीं किये. आस परोस के गाम में केवल सिरुआ ही कहै छै, ते ओ सब कने मजाको करय. बुझल रहैत छल जे सिरुआ छियई, मुदा जखने भिनसरे में माय या दादी ठंढा-ठंडा घैल  के राखल जल माथा पर द  दे, ते हम अकचका जायत रही. सामान्यतया हमर निन ओतेक जल्दी नहीं टुटैत रहै, तें हरबरा जायत रही. तखन बुझी जे ओह, आय ते सिरुआ रहै ने. बैसका पावनि रहै, भिनसरे बरी भात बनि जाय. माय कहे-जो-जो गाछी में पहिने गाछ सब के ज़ुरा के आबि जो. हमरा ते गाछी कम्मे छल मुदा जेह छल तकरो जुराबे लेल जायत रही. कमाल के सोच छल. सब लोक आय के दिन गाछी में गाछ-ब्रिच्छ के जुरबई लेल जायत छल.

एकटा बात आर, आय के दिन लोक सब गाम में घैला दान सेहो करैत छल. ओही घैला में भोर सांझ स्वच्छ जल भरल जायत छल, पुरे महिना. बैसाख के गर्मी में पानि दान के अलगे महत्व छै. तुलसी के पौधा में भी छोटका घैला या फुच्ची  में एकट1 भूर क क ओही में कुश द क जल बूँद-बूँद खसय लेल देल जायत छल.

चैनपुर आ आसपास के गाम में शिकार खेलय के परंपरा सेहो छल. कतेक दिन पहिनहि से शिकारी सब अपन अस्त्र-शस्त्र सब पिजाबे लागैत रहे. गामक जंगल जेना बरदोखैर, कुरनमा, खैरबनी, इत्यादि इत्यादि जगह पर जाय शिकार करय लेल. शिकार करय जोग  जानवर नहि छल ओहि समय में आ नहि ओहेन शिकारी, मुदा अपन अपन कुकुर के सन्ग ल क सब कोशिस करय जे कम से कम एकटा खरिहा के त शिकार भ जाय. खरिहा के मौस बड्ड स्वादिष्ट मानल जायत छल.

मिथिला में एहि दिन ढेरों जगह धुरखेल सेहो खेलल जायत ऐछ. हमरा पड़ोस में ऐछ एकटा गाम बघवा. ओही ठIम खुब मचा के धुरखेल होयत ऐछ एही दिन.

आब यादो नहीं ऐछ जे कतेक दिन पहिने माय जुरेने रहे सिरुआ के दिन. ओतेक दिन पहिने के जुड़ाबय के अहसास एखनो भ रहल ऐछ. परदेस में रहिके बाद त यादे क क अनुभव करय परैत छै. की करबे, बरी-भात खा लेलहू त मोन के बुझा देलहु जे भ गेल सिरुआ आ जुड़ शीतल..................

Wednesday, April 10, 2013


चैनपुर स्वास्थ्य मेला २०१३: अपन नजरि से.

पछिला साल जखन काली माय के जन्म दिन अर्ध मैराथन के आयोजन भेल छल अपन गाम में तखने इ विचार बनल छल जे आब चैनपुर फेसबुक ग्रुप किछ विशेष काज करत. ओहि आयोजन के दौरान उपस्थित डॉ विनोद ठाकुर एवं डॉ नरेश झा सुझाव देलेथ जे आगा अपना सब मिलि के एक मेडिकल कैंप लगायब जाहि में मरीज सब के लेल मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायल जायत. सैद्धांतिक रूप से एही में सम्मति बनल आ फेसबुक ग्रुप डॉक्टर द्वय के आश्वस्त केलक जे एही आयोजन के पूर्ण रूपें सफल बनाबय में इ ग्रुप अपन पूरा ताकत लगा देत. चूंकि इ प्रस्तावित आयोजन पूर्णतः चिकित्सीय काबिलियत एवं ओकर निक जकां कार्यान्वयन पर निर्भर छल, तेन डॉक्टर द्वय के अगुआई में इ कैंप आयोजन करय के निर्णय लेल गेल.
तारिख देल गेल ६ एवं ७ अप्रैल २०१३. ७ अप्रैल के स्वस्थ्य दिवस सेहो मनायल जायत ऐछ आ २०१३ स्वामी विवेकानंद जी के १५०म जानती वर्ष सेहो छल, तें इ तय भेल जे ६ एवं ७ अप्रैल २०१३ के स्वामी विवेकानंद के १५०म जयंती वर्ष के उपलक्ष में ‘चैनपुर स्वास्थ्य मेला २०१३’ के आयोजन शशिकला मध्य विद्यालय एवं उच्च विद्यालय चैनपुर (सहरसा) के परिसर में कायल जायत.
एही मेला के ब्लू प्रिंट तैयार कैल जा लागल. पहिने आस पास के किछ गाम के एही आयोजन में शामिल कराय के विचार छल आ इ लक्ष्य छल जे लगभग १००० से २००० मरीज के मुफ्त चिकित्सकीय परामर्श एवं दवाई देल जायत. बाद में इ निश्चय भेल जे एही में सहरसा जिला के बेसी से बेसी गाम के शामिल कयल जाय. स्पष्ट छल जे आयोजन के स्तर बढ़ी गेल आ एही लेल समुचित डॉक्टर एवं दवाई इत्यादि के इंतज़ाम होमय लागल. लगभग ३०-३५ डॉक्टर के आमंत्रित कैल गेल छल आ लगभग ३० गोटे अपन मंजूरी देलैथ. एही गाम के डॉक्टर द्वय के आलबा दुनु गोटे के पुत्र आयुष्मान प्रशांत एवं तुषार सेहो एही कैंप के दौरान रहैथ. गाम के एक अन्य युवा डॉक्टर रहैथ ; भवेश. एकर आलावा, सहरसा, दिल्ली, कटिहार, धनबाद, पटना इत्यादि जगह से डॉक्टर अपन संस्तुति देलैथ. दवाई आ अन्य चिकिसकीय जांच सम्बन्धि सुविधा सबहक व्यवस्था डॉक्टर द्वय मिलि के केलैथ. स्वस्थ्य विभाग सहरसा के सहयोग भी बहुत प्रशंशनीय रहल.
जखन इ निश्चय भ गेल जे इ मेला त आब हेबे करत, तैयारी शुरू भ गेल, दुनु डॉक्टर साहेब के दिश से भी आ फेसबुक ग्रुप चैनपुर के दिश से भी. लीफलेट दिल्ली में ही छपि गेल आ गाम पहुँच गेल. सौंसे गाम में आर आसपास के गाम में परचा सटय लागल. लोक में उतुस्कता जागे लागल. इ काजे तेहने छल, किएक त एकर बेगरता त सबके होयत छै. गाम में दीप नारायण अपन टीम के संग लागि गेलाह जोर शोर से. मरीज के रजिस्ट्रेशन शुरू भ गेल. रजिस्ट्रेशन के काउंटर छल; राजकुमार झा जी के दूकान.
मार्च के तेसर  सप्ताह में गर्माहट आबे लागल तैयारी में. फेसबुक ग्रुप के सबसे उत्साही आ उर्जावान युवक अगम बाबु (जे दिल्ली में ही नौकरी करैत छैथ), गाम पहुँच गेलाह, एही आयोजन के तैयारी के गति देबय लेल. गाम में कुमुदनंद सेहो छल. रितेश सेहो ककरो से कम नहीं. गामे गाम प्रचार कराय में लागी गेल दीपू बाबु, अगम बाबु, बौवा(कुमुदनंद), आ रीतेश. किशोर ठाकुर, जे एही ग्रुप के सबसे डायनामिक सदस्य  ऐछ, अपन उपस्थिति दर्ज करा देलखिन ३१ मार्च के ही आ जमि के  लोजिस्टिक्स आ स्ट्रेटेजी सम्बन्धी काज के सम्हार लैथ. आस पास के ३० गाम में प्रचार भेल आ लगभग ४००० मरीज के निबंधन भेल. निबंधन करबे के मुख्य उद्देश्य छल इ पता लगाने जे मरीज के प्रोफाइल की रहत आ हुनका सब लेल निक व्यवस्था भ सके. तें एही निबंधन से मरीज के इलाज से नहीं जोरल गेल आ इ सुविधा देल गेल जे मेला दिन आबी मरीज अपन निबंधन करबैत आ इलाज के सुविधा लैथ. एही आयोजन में सहयोगी आ स्वयंसेवक के कुनु कमी नहीं छल, मुदा सबहक नाम गिनायब मुश्किल.
खैर, इ सेहो निश्चय भेल जे एही मेला के उद्घाटन के लेल बिहार के स्वस्थ्य मंत्री के आमंत्रित कैल जाय. सौभाग्य से डॉ नरेश के प्रयास से मंत्री जी मानि गेलाह. मंत्री जी के संस्तुति के बाद त मेला के रूप बदलि गेल. आयोजन के भव्य से भव्य करबाक कोशिस हुए लागल. पूरा जिला प्रशासन एही आयोजन के अविस्मरनीय बनाबाई में लागी गेल. जिलाधीश, कमिश्नर, सिविल सर्जन, इत्यादि सब बढ़ी चढ़ी के भाग लेलेथ. स्थानीय विधायक श्री अलोक रंजन सेहो अपन उपस्थिति के मंजूरी देल्खिंह.
गाम के सब युवक सब लागि के ५ अप्रैल के २ बजे रात के सब तैयारी पूर्ण क लेलेथ. इ युवा सब दिन के दिन नहीं आ राति के राति नहीं बुझ्लैथ. अगिला भोर सब के सपना पूरा होई के दिन छल. एतेक दिन के मेहनत के फल देखे लेल सब बौला छल.
कैंप के शुरुआत के समय देल गेल- ९ बजे. मंत्री जी के आबे के समय बदली गेल. पहिने त इ प्रोग्राम छल जे मंत्री जी उद्घाटन करताह आ तखन इलाज शुरू होयत, मुदा समय बदलि जेबाक कारणे, कैंप के शुरुआत निश्चित समय पर ही रखल गेल. शशिकला विद्यालय में क्लिनिक बनाओल गेल छल आ उच्च विद्यालय में दवाई वितरण केंद्र. भोरे से मरीज के भीर बढे लागल. सहरसा जिला के सब कोण से मरीज एलाह. हम सब बड्ड उत्साहित रही. भोरे से उज्जर टी-शर्ट  में वालंटियर अपन-२ निर्धारित काज में लागि गेलाह. बिना कुनु विशेष योग्यता के बाबजूद इ वालंटियर सब बड्ड उल्लेखनीय काज केलैथ.
इ पता लागल जे मंत्री जी ३ बजे सहरसा पहुन्च्ताह. गाम के आ आयोजन के प्रतिनिधि के रूप में गोपाल कृष्णा ठाकुर, किशोर ठाकुर एवं हम एयर पोर्ट गेलहु मंत्री जी के स्वागत करय के लेल.
लगभग ३.३० बजे मंत्री जी गाम पहुँचलाह. नीलकंठ मंदिर में पूजा अर्चना केलैथ. स्टेज उच्च विद्यालय के प्रांगन में बनल छल. सब अतिथि के मंच पर यथास्थान जगह देल गेलैंह. हमर सबहक प्रिय श्री गोपाल कृष्णा ठाकुर मंच सम्हारलैथ. मिथिला के परंपरा के अनुसार सब अतिथि के चद्दर आ पाग पहिरा के स्वागत कैल गेलैंह. स्वागत भाषण के बाद पंडित मधुकांत झा ‘मधुकर’ के मंगलाचरण के बाद गाम के बच्ची सब स्वागत गान प्रस्तुत केलक. स्वागत गान लिखने रहैथ श्री मनोज कुमार ठाकुर जी. बड्ड नीक रचना. भाव आ शब्द के एहेन संयोजन बड्ड कम लखा परैतत ऐछ आय-काल्हि.  तत्पश्चात डॉ नरेश संबोधित केलैथ आ गाम के लेल मंत्री जी से किछ अनुरोध सेहो. मंत्री जी करीब १०-१५ मिनट भाषण देलैथ. अंत में ओ गाम के स्वास्थ्य उपकेन्द्र के उत्क्रमित क क अतिरिक्त स्वस्थ्य केंद्र में परिवर्तित करय के आश्वासन देलैथ. अंत में मंत्री जी कहलैथ , जखन काज भ जायत त फेरो आयब चैनपुर आ तखन तिलकोर के तरुआ खायब. बड्ड निक रहल मंत्री जी के वक्तव्य. एकर उपरांत मंत्री जी विदा लेलाह.
गाम के मिलन मंदिर (सामुदायिक भवन/पंचायत भवन) जे बहुत दिन से उपयोग में नहीं लेल जा रहल छल, प्रशासनिक सहयोग से सीनियर सिटीजन क्लब के रूप में बदलल गेल. एही क्लब में विभिन्न प्रकार के मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक सामग्री सब रहत आ अपन सीनियर सिटिजन  सब के अनुभव के हम सब निक जकां उपयोग क सकब. एही क्लब में नियमित अंतराल पर योग के क्लास भी चलायल जायत.
मरीज के संख्या बढ़ले जायत छल. एहेन भीड त कहियो नहीं देखने रही कुनु गाम में. काली पूजा में एतेक लोक गाम नहीं आबैत हैत कहियो. आस परोस के गाम में चैनपुर के प्रशंशा होमय लागल. सांझ धरी २००० मरीज के परामर्श द देल गेल छल. सामान्यतया मरीज सब व्यवस्था से संतुष्ट छल.
७ तारीख के त आरो भीड. बुझबे जे सम्हारत की नहि. मुदा बाबा नीलकंठ के एही धरती पर पार लागि गेल. मरीज के छोर खत्मे नहि हुए. अंत में ९ बजे राति धरी डॉ सब इलाज में लागल रहलाह. आ इ मेला सफल मानल गेल.
एहेन आयोजन में किछ नहीं किछ त्रुटी त रहिये जायत ऐछ, जकरा पर  ध्यान द क भविष्य में कमी दूर कायल जा सकैत ऐछ.
डाक्टर, वालंटियर इत्यादि के भोजन जलपान के व्यवस्था डॉ बिनोद स्वयं केने रहैथ.
एही आयोजन के सफल बनाबय में सबसे बेसी सहयोग रहल; गाम के लोक सबहक अप्रत्याशित समर्थन. युवा वर्ग के अप्रतिम सहयोग. ओना सब गोटे के नाम हम नहीं जनित छि, तैयो हम किछ लोक के नाम लिखी रहल छि जिनका सक्रिय सहयोग के बिना एही मेला के सफलता के कल्पना नहीं कैल जा सकैत छल.
डॉ. नरेश झा, डॉ. बिनोद कुमार ठाकुर
किशोर ठाकुर, अगम, दीप नारायण, बौवा, रितेश, राजू, बची बाबु, पंकज, नितीश, राघवेन्द्र, अमित, नमन, सुशिल ठाकुर ‘ढनढन’ सुधांशु ठाकुर, निरंजन ठाकुर, गोपाल कृष्णा ठाकुर, मुन्ना मिश्र,  कंदर्प किशोर (फोटो अपलोड करय में तीव्र) इत्यादि इत्यादि.................
                     
हम सब गोटे के नाम लिखे में असमर्थ छि, मुदा जतेक भी सहयोगी रहैथ सब धन्यवाद के पात्र छि. एहेन मानवीय कार्य में अहाँ सब अपन सहभागिता देलियाई, बाबा नीलकंठ के कृपा हरदम बनल रहत अहाँ सब पर.