नितीश कुमार कहलैथ जे बिहारी बड्ड इंटेलेक्चुअल छथि
हम कहैत छि जे मैथिल बड्ड इंटेलेक्चुअल छथि
ठीके छै, ठीके कहैत छि, हमहू इयैह हमहू कहैत छि
सिविल सर्विस हमही पास करैत छि
स्टेट सर्विस हमही पास करैत छि
इंजिनीअरिंग एवं मेडिकल के परीक्षा हमही पास करैत छि
बैंक, स्टाफ सेलेक्सन एवं रेल के परीक्षा में के हमरा लग में टिकत
कियो नहि.
मुदा की हम ठीके में इंटेलेक्चुअल छि
बुझायत नहि अछि
एम्हर परीक्षा पास केलौ
माय बाप के सीना त चौड़ा होइत अछि
संगहि मंसुआ बान्हैत छि जे आब त बाजी मारि लेलहु
आब त बड्ड पाय भेटत, माल भेटत दहेज़ में
भाय भैयारी मोंछ में तेल लगबैत छि,
करगर सन पार्टी के आनब भाय के बियाह के लेल
लड़का त अलगे मंसुआ बन्हने जे आब कि
निक पाय, निक माल आ निक कनिया
पता नहि एही सब इंटेलेक्चुअल के इ दहेज़ के बीमारी कतय
से लागी गेल
नहि कोनो लाज, नहि कोनो शर्म
सीना ठोकि के इ घृणित काज करनाय त हमरा सब से सीखू
बेटा के बेचय में कोनो शर्म नहि?
आश्चर्य !!!
माथ उठा के कोना चलैत छथि आश्चर्य
डूबि मरे बाला बात अछि, अछि कि नहि !
यौ मैथिल, आबो त उठू, जागु, माँ मैथिलि किलोल करैत छथि
दहेज़ नाम के कलंक के मेटाबू, तखने हमरा आत्मा के शांति भेटत
गार्गी, मैत्रेयि कानय छथि
एहि धरा पर बेटी के इ अपमान,
आ ओहो बेटा के बेचि के!
उतरि जायत मुखौटा इंटेलेक्चुअल के
तखन कि करब?