Wednesday, April 4, 2012

गाम

परदेस में रहि के
गाम छुटि गेल 
एहि पेट लेल
धिया पुता लेल
की करब
छोरे पडैत अछि
अपन गाम घर सबके
जतय सब कियो अपन छथि
रहय पडैत अछि
परदेस में 
जतय कियो अपन नहीं अछि
सब अनठिया बुझैत छथि
सब अनठिया बुझायत अछि
ककरा दिल के बात बताबी
मोने मोन घौलायत छि
याद अबैत अछि गामक गाछी
आमक मोजर, गाछक टिकला
माय के बनायल ओही टिकला के कुच्चा 
मोन होयत अछि सब किछु छोडि के भागि जाय
अपन गाम दिस
मुदा की करी 
कोना जाय
पेट  त  बड्ड पैघ छै
एकरा लेल त सब किछ करय पड़ते
साल में एक आध बेर जाय छि गाम
मुदा ओहि से की हेतै
गामो के लेल आब हम सब अनठिया भ जायब
अनठिया भ गेलौं 
नहीं परदेस के रहि सकलहु
नहीं गामे के
समाधान की अछि
समझ में नहीं आबैत अछि
किछु सोचे पडत
किछ कराइये पडत
एहि जाल से निकलबाक लेल
गाम से जुरल रहू,
गाम के लेल किछ करू
तखने कल्याण अछि यौ बाबु
परदेसो में रहि के गाम लेल किछु सोचु यौ बाबु
जन्मभूमि के बड्ड कर्ज अछि अहाँ पर
ओकरा त चूकाबू यौ बाबु.

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