Monday, December 10, 2012

चैनपुर में मैराथन

कतेक दिन भ गेल, एहि ब्लॉग पर नहि  आबि  सकलहु आ ते नहि  किछ लिख सकलहु। कतेक रास बात रहि गेल शेयर करय लेल। गाम के फेसबुक समूह के सब सदस्य मिलि के प्रयास केलहु जे गाम के विकास में हम सब भागिदार बनी। अपन भागीदारी गाम स बाहरो रहहि  के तय करी। कोना प्रयास कैल जाय, कुन-कुन मुद्दा उठायल जाय, ओही लक्ष्य के कोना प्राप्त करी, इत्यादि विषय सब पर सक्रिय सदस्य के बीच में बड्ड  विमर्श भेल आ मंथन सेहो। इः सब मंथन के बीच में इ भेल जे गाम में जागरूकता फैलाबइ   लेल किछ इवेंट के आयोजन कैल जाय। कोना आ कुन इवेंट? समूह के नौजवान सदस्य सब विचार रराख्लाथि  जे पुरे दुनिया में जागरूकता  बढेबा  लेल मैराथन के आयोजन कैल जायत अछि। गाम के लोक सब एही में भाग लेत  आ जागरूकता पसरे लागत  समूह के विचार भेल जे काली पूजा, जे अपना गाम के मुख्य पर्व छि, के अवसर पर इ इवेंट कैल जाय आ बहुत विमर्श के बाद इ तय भेल जे काली माय के जन्म दिन 13 नवम्बर 2012 के कैल जाय। किछ आशंका भी जतायल गेल जे एही अवसर पर इ आयोजन ठीक नहि  रहत, लोक सब भाग नहि  ल सकत इत्यादि, इत्यादि। मुदा इ तय भेल जे कुनु तिथि के सब के उपस्थिति निश्चित नहीं कैल जा सकैत अछि, ते, जन्म दिन सब से उपयुक्त मानल गेल।
तारीख त  तय भ गेल, आब इ कोना कैल जाय, एही पर मंथन होमय लागल। समूह के बेसी सदस्य गाम से बाहरे  रहैत छथि । बेसी छुट्टी ल क किनको लेल गाम जायब मुश्किल छल। चूंकी शुरूआती दौर में गाम से बेसी सहयोग के उम्मीद नहि  छल आ सत  कहू ते उदासीनता बेसी छल, इ काज मुश्किल बुझायत छल। गाम में कार्यकर्ता के रूप में एकता दीपू बाबु . चूंकि हुनकर अपन राजनितिक आकांक्षा सेहो छन्हि , ते  किछ-किछ  कोण से हुनकर काज के शंका के दृष्टि से सेहो  देखल जायत छलन्हि। कहीं इ एकर उपयोग ते राजनीती में त  नहीं करत? बहुतो प्रयास के बादो, गाम में एही आयोजन के लेल सही माहोल नहीं बुझायत छल। एहनो बुझायत छल जे केवल ग्रुप के सदस्याए भरी एही आयोजन में ठाढ़ रहत आ एही आयोजन से हमरा सब के किछु नहीं भेटत। लोजिस्टिक्स सब सोचल जाय लागल। अमित (गोपाल), किशोर, निरंजन, सनत, अगम इत्यादि सब मिलि  के योजना बनाबे लागल। सबसे पहिने आयोजन स्थल के फैसला कैल गेल। पहिने जे प्रोग्राम नवकि काली मंदिर के प्रांगन में होई वाला छल, इ तय भेल जे शशिकला मध्य विद्यालय में कैल जाय जाहि से की काली पूजा के आयोजन में कोनो बाधा नहि  हो। कलेक्टर, SDO, थाना, CMO इत्यादि  के आमंत्रण भेजल गेल जे ओ एही आयोजन के अपन उपस्थिति से कृतार्थ करैत। सहरसा जिला के सब प्रमुख गाम में एकर प्रचार कैल गेल। अमित पम्पलेट आ बैनर, लीफलेट इत्यादि के व्यवस्था पटना से ही केलैथ । किशोर दौर में देबय जाय वाला ट्राफी के व्यवस्था खुद केलैथ  आ बिना आरक्षण के  चलि  देलाह गाम में होई वाला एही आयोजन के गति देबय लेल। अपना हाथ से ठेला घीच के किशोर, निरंजन, दीपू, बच्चन जी-------------- पुरे गाम में जमि  के प्रचार केलैथ , टोले  टोल, गली गली घूमि  के प्रचार केलैथ  आ लोक सब के आश्वस्त करय के भरिसक प्रयास केलैथ  एही आयोजन के बारे में। संतोष ठाकुर 'ज्योतिषी जी', डॉ विनोद भाय जी, आदरणीय मुखिया जी भी एहि  आयोजन में भाग लेलैथ  आ अपन सम्मति देल्खिंह। लोकतंत्र में जन प्रतिनिधि के सहयोग आवश्यक मानल जायत  अछि। इवेंट के दिन आबैत आबैत गाम में माहौल बना देलैथ , आ लोक सब आशा भरल नजर से देखे लागल एही इवेंट के आयोजन के।
फेर आयल, डी डे, कलेक्टर साहब आ SDO साहब मुख्या अतिथि के रूप में शोभा बढ़ेल्खिं। मुखिया जी उपस्थित रहैथ । सरपंच साहब कतहु नहीं लखा पडलाह । मैराथन में भाग ले वाला के भीर लागी गेल। लगभग 400 धावक कोशी कमिश्नरी के विभिन्न गाम से आयल। ज्योतिषी जी अपन स्वागत गान से भीर के मन मोहि लेलखिन। मुखिया जी अपना भाषण से सेहो बड्ड  प्रभावित केलैथ , कलेक्टर साहब दीप जला आ फीता काटी दौर के शुभारम्भ केलैथ । किशोर जे एही टीम के सबसे सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में उभर्लाह, अपन ओजस्वी वक्तव्य से सब के प्रभावित केलाह। निरंजन जी, सनत आ दीपू सेहो अपन अपन संबोधन में एही दौड़  के उद्देश्य आ लक्ष्य से लोक सब के अवगत करेल्खिं।
दौर बड्ड नी क जकां संपन्न भेल। पुरस्कार के वितरण भेल आ इ आयोजन के सब तरहे सफल मानल गेल।
मुदा, की इ दौड़  छल की किछ आर। मूल उद्देश्य दौड़  नहीं छल, इ त  एकटा माध्यम छल जकर सहारा से हम सब गाम के विकास के लक्ष्य प्राप्त करय लेल चाहैत छि। हमरा सब के लक्ष्य ध्यान में रखबाक चाही, हर समय।
ग्रामीण के उदासीनता से ग्रुप के जोश में ठंडक आबि  गेल। कारण जमीनी स्तर   पर काज कराय वाला के अभाव। एकटा  दीपू की करत? समाधान अपन सहयोग देबय लेल तैयार अछि। अपना सब के एही विषय में एक बेर फेर विचार कराय परत। किशोर समाधान से बात कराय के कोशिस क रहल छथि ।

एही बीच में एकटा  आर गप भेल छल, SDO  साहब किशोर आ निरंजन जी के किछ काज के लेल जेना ग्रामीण स्तर से  सहयोग के लेल कहलखिन, विभिन्न सामजिक सुरक्षा योजना के कार्यान्वयन के लेल। एही में समाधान से मदति भेट सकैत अछि।

एही कड़ी  में डॉ विनोद भ।य जी एकटा  मेडिकल कैंप के विषय में प्रस्ताव देने छथि , 30-31 मार्च के। फगुआ के बाद, इ कैंप ठीक रहत। मुदा ग्रुप के सदस्य एही में कोना योगदान करत? सब बूते त मुश्किल होयत गाम में रहनाय , मुदा जिनका संभव हुए ओ अवश्य रही आ एकरा सफल बनाबी।
इ ग्रुप जत्ते  मुद्दा के उठा रहल अछि आ जतेक पर विमर्श क रहल अछि, ओकरा कोना लागू कैल जाय, एही में मतैक्य नहि  बनि  रहल अछि। अपन सबहक सीमा के देखैत हमरा सब के मिलि  के कोशिश कराय परत जाहि से की अपन जन्मभूमि के किछ बेहतर बना सकब।

एक बेर भोला बाबा से निवेदन करब जे हाउ भोला बाबा, अपन धिया पुता सब के एतेक शक्ति दाहक जे ओ सब किछ काज क सके अपन गाम के लेल, नीलकंठ धाम के लेल।

जय नीलकंठ।

Sunday, September 16, 2012

एक दर्द

चैनपुर, सहरसा जिला का एक गाँव जो सदा से अपने बुद्धिजीवियों, विद्वानों एवं पंडितों के लिए मशहूर रहा है, आज लगता है की यहाँ की शिक्षा व्यवस्था लगभग चरमरा गयी है. २०० से भी ज्यादा इंजीनियरों को पैदा करने वाला यह गाँव, सैकड़ों शिक्षकों का दंभ भरने वाला यह गाँव अचानक कैसे शिक्षा के मामले में एकदम उतार की  ओर जाने लगा है, यह समझ से परे है. जैसा की विदित है की शिक्षा हमारे जीवन का मूल आधार है एवं इसी के बलबूते इस गाँव ने अपना इतना नाम  किया है वहां की शिक्षा व्यवस्था ऐसे बिगड़ने लगेगी समझ में नहीं आती. जहाँ तक मेरा मानना है इसके मूल में ग्रामीणों की उदासीनता  ही है. पहले के  समय में गाँव के सभी बच्चे लगभग गाँव में शिक्षा प्राप्त करते थे, चाहे उनके अभिभावक गाँव से बाहर ही क्यों न हो. आज कल जो भी आजीविका के लिए गाँव से बाहर हैं उन सब के बच्चे अब बाहर ही रहते है. गाँव में केवल वे ही रह गए हैं जो बाहर नहीं जा प् रहे हैं.  यहाँ तक की जो गाँव के आस पास भी नौकरी कर रहे हैं वे भी अपने बच्चे को नजदीक के शहर में पढाते है. इस प्रकार गाँव में शिक्षण का वातावरण कैसा है, उन लोगों के चिंता का कारन कभी नहीं बनता है. रहे गाँव के वो लोग जो अपने बच्चे को बाहर  पढ़ाने में असमर्थ हैं, वो समझते हैं की हम क्या कर सकते हैं, जो नसीब में होगा वही होगा. पंचायत प्रतिनिधि भी उदासीन है. लगता है उन्हें कुछ लेना देना नहीं है इस मामले से. उन्हें तो केवल अपना स्वार्थ साधना है और यह स्वार्थ तभी साध सकता है जब आम लोग शिक्षा से दूर रहे. ऐसी स्थिति में आम जनता क्या करे? कहाँ जाए? क्या इसी तरह गाँव और देश के भविष्य को डूबने दिया जाय. क्या केवल अनिवासी चैन्पुरियों के दम पर ही हम दिखाते रहे की हम कितने प्रबुद्ध हैं?

अनिवासी चैन्पुरिये तो लगभग उदासीन है. वो कहते है अब इस गाँव का कुछ नहीं हो सकता है. ना हमलोग अब गाँव ज कर रह सकते है और न ही बच्चे. केवल पिकनिक मनाने के लिए साल में एक आध बार गाँव चले जाते हैं. बच्चे तो पता नहीं इसे अपना गाँव समझते भी हैं की नहीं. वो इसे बाबा का गाँव या नाना का गाँव समझते हैं. ऐसे में अनिवासी चैनपुर वाले से कुछ अपेक्षा करना लाजिमी नहीं होगा. फिर कौन करेगा, स्पष्ट है की गाँव के लोगों को ही आगे बढ़ना होगा.
अभी चैनपुर के स्कूलों में गाँव के ही ज्यादा शिक्षक हैं. एक आध को छोड़कर किसी को पढ़ने -पढ़ाने में रूचि नहीं है. पता नहीं ये अपने जिम्मेदारी से क्यों भाग रहे हैं. जिसके लिए उन्हें वेतन मिलता है उस एक काम को भी वे ठीक से नहीं करना चाहते है. येही स्थिति सभी स्कूलों की है. कुछ निजी विद्यालय भी चलते हैं. ये विद्यालय कम कोचिंग संस्था ज्यादा है. कहने के लिए तो ये बच्चों को गुणवत्ता भरी शिक्षा देना चाहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. एक तरफ बच्चे नियमित रूप से स्कूल नहीं जाते हैं, जिससे उनमे अनुशासन हीनता  आती है दूसरी और उन्हें स्कूल के महत्व का पता नहीं चलता है. यह सही है की हमारे सरकारी स्कूल अपने पूरी क्षमता से सही शिक्षा नै प्रदान कर पा रही है, लेकिन ग्रामीण का जो सहयोग और प्रतिबद्धता चाहिए वह भी नहीं है.
इन सब नकारात्मक बातों के बाबजूद एक चीज तो है जो हमें उत्साहित करती है वह है लड़कियों की शिक्षा के प्रति उत्साह और लड़कियों का झुकाव. यह एक सही लक्षण है. हमें अपने बेटियों एवं बहनों को इसके लिए लगातार प्रोत्साहित करना होगा. बिहार सरकार भी इस और अच्छा प्रयास कर रही है.
ग्रामीणों से यह अनुरोध है की वे इस और पर्याप्त ध्यान दें, क्योंकि उचित शिक्षा ही हमारा भविष्य का सही तरीके से निर्माण कर सकती है.
एक अनुरोध अनिवासी चैन्पुरियों से भी, कृपा कर अपने गाँव पर भी ध्यान दे. ये हमारी जननी है, इसका ख्याल हम नहीं रखेंगे तो कौन रखेगा. ऐसी कोई योजना बनाये जिससे गाँव की चहुंमुखी समृद्धि हो और इस तरह अपनी जननी के दूध और मिटटी का कर्ज कुछ हद तक मिटा सके. क्योंकि कर्ज मिटाना तो किसी के बस में नहीं है. हे अनिवासी चैनपुरवासी, अपनी मिटटी तुम्हे याद कर रही है. थोडा कष्ट तो होगा, क्योंकि यहाँ न तो पर्याप्त बिजली है, न ही और तमाम सुविधाएँ ही है.

Thursday, July 19, 2012

मधुश्रावणी

मधुश्रावणी 

एखन मधुश्रावणी पाबनि अपन चरम पर पहुँच  रहल अछि. एहि पाबनि के मिथिला में बद्द महत्व छैक. प्रत्येक नव-विवाहिता अपन पहिलुक सावन में  इ पाबनि मनबैत छथिन्ह. इ पाबनि पूर्ण रूपें नारी प्रधान अछि.  पुरुख के हस्तक्षेप त ओरीयान करै में केवल होइत अछि. १३ दिन चलै बाला इ पाबनि पुरे मिथिला में मनोहारी दृश्य उत्पन्न करैत अछि, जाकर आनंद केवल कउनु सौभाग्यशाली ये टा उठाबैत अछि. रंग-बिरंग के नव वस्त्र धरणी केने, झुण्ड के झुण्ड बनने मिथिलानी सब समूह बना के फूल लोढे लेल जायत अछि. (ओना आब गामो घर में फूल के अभाव देखल जायत अछि, ते समूह में लोढ्नाय कने कम भेल अछि ).  शहर में फूल लोढे के प्रथा लगभग नहिये अछि. मुदा परंपरा के लेल कराय पारित अछि. एहि पाबनि में अरबा-अनुन खायत छथिन्ह मिथिलानी आ अंतिम दिन टेमी दागल जायत अछि. मिथिलानी के सासुर से धरों भार-दौर आबैत अछि. (वर पक्ष से सबसे बेसी भार मधुश्रवानिये में आबैत अछि.). तेरहो दिन नव-नव मनोरंजक एवं उपयोगी कथा" कथकाही" द्वारा कहल जायत अछि. सासुर पक्ष के भार से स्त्रीगन लोकनि के विशेष भोज होइत अछि. मधुश्रावणी कें आधुनिक हनीमून के  पौराणिक रूप मानल जायत अछि. ओनाहु, श्रावण मास के श्रृंगार के मास मानल जायत अछि, तें आरो समीचीन.

सब मिथिलावासी के मधुश्रावणी के ढेरों बधाई.

एहि अवसर पर प्रेमी जी के एक गीत याद  आबि  गेल, दू पांति ऐना अछि:   चलु चलु बहिना हकार पूरे ले, चुनी दाय के वर एलय टेमी दागय ले . एहि गीत में प्रेमी जी मधुश्रावणी पाबनि के बड्ड नीक वर्णन केने छथि. 

Sunday, May 13, 2012

माँ

माँ, कतेक नीक तू
तोहर बरोबरि के क सकत
एहि धरती पर आनलय हमरा
तोहर कोचा पकरि के 
चलब सिखालाहूँ
तोहर इशारा से एहि दुनिया के देखलहुं 
भिजल ओछौन पर तोरा सुतैत
अपना के सुखल पर सुतल देखलहुं
थापर लात खायत खायत हमरा तैयो
दूध पियाबैत  रहलें
अपना भूखल रही हमरा खुएलें
पेट जारि के हमरा पढेलें
माँ, तोंही टा इ क सकैत छलें
ककरा एतेक ममता हेतैक, 
ककरा एतेक प्रेम हेतई,
हमरा बुझने ककरो नहि
लेकिन हम की केलियौ
छोडि  के स्वार्थ में लीन
अपन कैरियर के लेल 
अपना लेल, एतेक दूर
एतेक ओझरायल 
 हम एतेक अभागल
एखन तोरा से एतेक दूर छियौ
पाबनि तिहार याद क क अपना के खूब बुझैत छि
मुदा तू एहेन जे सदिखन हमर निक सोचैत छें 
हम बेईमान बुडबक एहेन की कहिओ गे माँ
कतेक कर्ज छौ तोहर ......
ओना माँ के कर्ज नहि होई छै?
मों होइत अछि खूब सेवा करी तोहर
मुदा तू त आरो ककरो माँ छिही ने 
कोना छोरभी ओकरा 
हमर कखन पूरत इ कामना
माँ हम इ नहि जानी
कहियो त तोहर कृपा हेतई
भरि पेट सेवा करब 
तोहर आशीर्वाद त भेटबे करतै
आई नहि त काल्हि आर नहि त कहिओ
इंतज़ार छै ओहि दिन के जखन 
अपन मन के करब 
तोरा पैर लग बैस के 
अपन आनंद के खोज
असीम आनंद के खोज.

Monday, April 30, 2012

दहेज़


नितीश कुमार कहलैथ जे बिहारी बड्ड इंटेलेक्चुअल छथि
हम कहैत छि जे मैथिल बड्ड  इंटेलेक्चुअल छथि
ठीके छै, ठीके कहैत छि, हमहू इयैह हमहू कहैत छि
सिविल सर्विस हमही पास करैत छि
स्टेट सर्विस हमही पास करैत छि
इंजिनीअरिंग एवं मेडिकल के परीक्षा हमही पास करैत छि
बैंक, स्टाफ सेलेक्सन एवं रेल के परीक्षा में के हमरा लग में टिकत
कियो नहि.
मुदा की हम ठीके में इंटेलेक्चुअल छि
बुझायत  नहि अछि 
एम्हर परीक्षा पास केलौ 
माय बाप के सीना चौड़ा होइत अछि
संगहि मंसुआ बान्हैत छि जे आब बाजी मारि लेलहु
आब बड्ड पाय भेटत, माल भेटत दहेज़ में
भाय भैयारी मोंछ में तेल लगबैत छि,
करगर सन पार्टी के आनब भाय के बियाह के लेल
लड़का अलगे मंसुआ बन्हने जे आब कि
निक पाय, निक माल  निक कनिया
पता नहि एही सब इंटेलेक्चुअल के दहेज़ के बीमारी कतय
से लागी गेल
नहि कोनो लाज, नहि कोनो शर्म
सीना ठोकि के घृणित काज करनाय हमरा सब से सीखू
बेटा के बेचय में कोनो शर्म नहि?
आश्चर्य !!!
माथ उठा के कोना चलैत छथि आश्चर्य
डूबि मरे बाला बात अछि, अछि कि नहि !
यौ मैथिल, आबो उठू, जागु, माँ मैथिलि किलोल करैत छथि
दहेज़ नाम के कलंक के मेटाबू, तखने हमरा आत्मा के शांति भेटत
गार्गी, मैत्रेयि कानय छथि
एहि धरा पर बेटी के अपमान
ओहो बेटा के बेचि के!
उतरि जायत मुखौटा इंटेलेक्चुअल के
तखन कि करब?

Friday, April 27, 2012

खोज

एही दुनिया के भीड़ में
अप्पन छोट नीड़ में
हम ताकै छि अपना के
कतेक दिन से
आर कतेक दिन एहिना 
तकैत रहब
मुदा भेटत
पता नहि.
के छि हम
की अछि हमर अस्तित्व
की प्रयोजन अछि हमर
एही धरती पर
एही धरती के लेल
कून  माया के भंवर में
ओझरायल छि, पता नहि
 की हम इएह करैत रहब 
अनंत काल तक?
अपना के हेरैत अपना लेल.

Thursday, April 26, 2012

चैनपुर, हमरा सबहक जान


चैनपुर, हमरा सबहक जान, एकरा बिना अपना सबहक कोनो अस्तित्व नहीं अछि. बिहार राज्य के मिथिला क्षेत्र में कोशी नदी के बेसिन में बसल चैनपुर गाम सहरसा जिला मुख्यालय से १० किलोमीटर के दूरी पर अवस्थित अछि. इ गाम अपन शिक्षा संस्कार आ विद्वान सबहक कारन से पुरे मिथिला में प्रसिद्ध अछि. एही गाम के आदि पुरुष श्री भागीरथ ठाकुर के मानल जायत अछि आ गाम के लोक अपना के भागीरथ ठाकुर के ही वंशज मानैत छथि. परंपरागत विश्वास के अनुसार एखन से लगभग २५० साल पहिने एही गाम में भागीरथ बाबा आयल छलथि. ओना इतिहास के पन्ना के खंगालाल जाय त इहो मान्यता बुझायत अछि जे इ गाम बड्ड पुराण अछि.कहल जायत अछि जे आठवी सदी में जखन शंकराचार्य शास्त्रार्थ करबाक लेल मंडन मिश्र लग महिषी आयल छलथि तखन ओ चैनपुर होइत गेल छलाह. एही ठाम नीलकंठ महादेव के पूजा क क ओ धेमरा नदी (धर्ममूला) पार क क महिषी पहुंचल छलाह. इ अख्यायन शायद शंकर विजय नामक प्रबंध ग्रन्थ में उपलब्ध अछि. संगही, गाम में कतेको पुरान मूर्ती सब भेटल अछि, जे अद्वितीय अछि जेना सूर्य भगवान् के आदमकद मूर्ति, विष्णु भगवन के मूर्ति आदि आदि. अवश्ये अपन गाम बड्ड पुरान अछि, मुदा एकर पौराणिकता सिद्ध करबाक कोनो सबूत शायद उपलब्ध नहीं अछि. किछ अपठनीय लेख सब सेहो उपलब्ध अछि जाकर पढबाक बाद शायद अपना सब के पता लगि जायत गाम के मूल. छोडू एही सब बात के. अपन गाम के बनाबट अनमोल अछि. आस पास के कोनो गाम के संरचना एहन नहीं अछि. बुझायत अछि क्यों बढ़िया कलाकार अपन कला के प्रदर्शन केने छल गाम के संरचना के योजना बनेबा काल में. चारि-चारि टा सीधा सामानांतर सड़क जे गाम के एक छोड़ से दोसर छोड़ तक आ पुनः एही चारू सड़क के समकोण पर काटैत पांच छ: टा सड़क. अजूबा बुझायत अछि. गाम के शुरू में पश्चिम भाग में टीला जाहि पर आदि काली मंदिर अछि त दोसर दिशि नीलकंठ मदिर पूरब में दोसर टीला पर, बुझायत अछि शिव एवं शिवा दुनु दिस से गाम के स्वयं रक्षा के लेल विराजमान छथिन्ह. संगहि गाम के मध्य में दुर्गा स्थान, पूरा शक्ति के संतुलित करैत बुझायत अछि. गाम के चारू दिस पानि बहे के उत्तम व्यवस्था घोर आश्चर्य उत्पन्न करैत अछि.

अपन गाम बड्ड निक अछि. गाम के लोक शिक्षा दीक्षा पर विशेष ध्यान देत छथिन्ह. गाम में कतेको स्कूल अछि. ढेरों प्राथमिक विद्यालय, दुई टा मिड्डल स्कूल, दुई टा हाई स्कूल, एकटा संस्कृत महाविद्यालय अछि. धार्मिक स्थान के रूप में नीलकंठ मंदिर, काली मंदिर (बुढ़िया काली आ नवकि काली), दुर्गा मंदिर, विष्णु घर, हनुमान थान, ब्रहम बाबा, राधा कृष्ण कुटी, मार्कंडेय बाबा के काली मंदिर इत्यादि दर्शनीय स्थल ठीक. गाम में पोखरि इनार के कमी नहि. मुदा आब एकर सबहक ओतेक उपयोग नहि कैल जायत अछि.

गाम में सब पर्व त्यौहार संपूर्ण उमंग, उत्साह आ धार्मिक वातावरण में मनायल जायत अछि. काली पूजा आ फगुआ त किछ बेसिए नामी अछि मुदा दशहरा आ शिवरात्रि मनबय में सेहो कोनो कमी नहि. कृष्णाष्टमी, रामनवमी आ हनुमान जयंती सेहो परम श्रद्धा भक्ति से मनायल जायत अछि.

गाम कतेक रत्न के जननी थीक, गिनायब मुश्किल. किछु नाम एही ठाम लिखी रहल छि. सबहक नाम देब त संभव नहि, ते कने असुविधा महसूस भ रहल अछि. तैयो

पं अमृत्नाथ झा, पं अर्जुन झा, पं गंगाधर मिश्र, पं छोटू बाबु, श्री कृष्ण मिश्र, स्व.भ्रिगुदेव झा, पं इन्द्रानन झा, पं शिलानंद झा, पं. मधुकांत झा 'मधुकर'....,

गुनी बाबा, नुनु बाबा, श्री नारायण ठाकुर, श्री जय नारायण ठाकुर, श्री यदु झा, श्री भूप नारायण ठाकुर (गबैया बाबा), वीरन गोसाईं...........

पं हरेकृष्ण मिश्र, स्व. गुनी ठाकुर, श्री तुलाकृष्ण झा, श्री दीना नाथ मिश्र, श्री हरे कृष्ण झा, श्री गिरीश चन्द्र झा, श्री रतिश चन्द्र झा, श्री सतीश चन्द्र मिश्र, श्री शशि कान्त झा, श्री भाल चन्द्र मिश्र ...

स्व. गंगाधर झा, श्री उमा कान्त झा, स्व. घुघुर बाबु, श्री अरुण ठाकुर, श्री मनोज झा, श्री सरोज कुमार ठाकुर, श्री आशीष भरद्वाज, श्री शैलेश मिश्र, श्री लड्डू बाबु, श्री डी.न.ठाकुर, श्री रविन्द्र नारायण ठाकुर, श्री राम चन्द्र ठाकुर ....................

अमर शहीद भोला ठाकुर, स्व. जनार्दन झा, स्व. अनिरुद्ध मिश्र, स्व. बिह नारायण ठाकुर (स्वतंत्रता सेनानी)

अपना गाम में कतेको इंजिनियर, डाक्टर, प्रोफेस्सर, एम्.बी.अ, गजेटेड ऑफिसर, इत्यादि अछि. सब प्रोफेसनल सब अपन -अपन क्षेत्र में गाम के आ देश के नाम रोशन क रहल छथि.

एहिना अपन गाम उन्नति करैत रहे त अपन सबहक कल्याण होइत रहत. एही लेल हमरे सब के ध्यान देबय पडत. एहन नहि जे अपने कल्याण में लागल रही आ अपन जननी के बिसरि जाय.

गाम में समस्या सेहो धरो अछि. बेरोजगारी के त किछु बेसिए. भरि -भरि  दिन ताश खेल क युवक सब अपन उर्जा आ मेधा समाप्त क रहल अछि. नशा के समस्या एक भीषण समस्या अछि, एकरो निदान आवश्यक.

Wednesday, April 4, 2012

गाम

परदेस में रहि के
गाम छुटि गेल 
एहि पेट लेल
धिया पुता लेल
की करब
छोरे पडैत अछि
अपन गाम घर सबके
जतय सब कियो अपन छथि
रहय पडैत अछि
परदेस में 
जतय कियो अपन नहीं अछि
सब अनठिया बुझैत छथि
सब अनठिया बुझायत अछि
ककरा दिल के बात बताबी
मोने मोन घौलायत छि
याद अबैत अछि गामक गाछी
आमक मोजर, गाछक टिकला
माय के बनायल ओही टिकला के कुच्चा 
मोन होयत अछि सब किछु छोडि के भागि जाय
अपन गाम दिस
मुदा की करी 
कोना जाय
पेट  त  बड्ड पैघ छै
एकरा लेल त सब किछ करय पड़ते
साल में एक आध बेर जाय छि गाम
मुदा ओहि से की हेतै
गामो के लेल आब हम सब अनठिया भ जायब
अनठिया भ गेलौं 
नहीं परदेस के रहि सकलहु
नहीं गामे के
समाधान की अछि
समझ में नहीं आबैत अछि
किछु सोचे पडत
किछ कराइये पडत
एहि जाल से निकलबाक लेल
गाम से जुरल रहू,
गाम के लेल किछ करू
तखने कल्याण अछि यौ बाबु
परदेसो में रहि के गाम लेल किछु सोचु यौ बाबु
जन्मभूमि के बड्ड कर्ज अछि अहाँ पर
ओकरा त चूकाबू यौ बाबु.

Wednesday, March 7, 2012

फगुआ


गाम में छोडा सब एही बेर तैयार  छै.  एही बेर त धुडखेल मचाकय रहबै.  ओनाही फगुआ के किछु इंटेलेक्चुअल टाइप के लोक नहीं मनबैत अछि  किएक त एही से हुनका सब के देसिपना के दुर्गन्ध अबैत छन्हि. धूरा एवं रंग से बड्ड परहेज छन्हि  हुनका सब के. तैयो कउनु बात नहीं, हम सब त फगुआ खेलबे करब.  फगुआ टा नहीं, धुर्खेलो. इ पाबनिये एहन छै जे कतबो पढ़ुआ  हुए आ की गंवार, हाकिम-पर्फेसर हुआ की महीसवार अपना हिसाब से सब  एहि  पाबनि के खूब उत्साह आ उमंग से मनबैत अछि.  आर्थिक रूप से सेहो इ पाबनि ककरो अपमानित नहि करैत अछि.  सब एक्कहि रंगकुनु   दुराव नहि. इ पाबनिये एहन अछि जे एहि में कुनु देखाबा के गुन्जैशे नहि छै. आ तै कियो कुनु देखाबा करितो नहि छै. शायत ईअह कारन छियै जे इंटेलेक्चुअल लोक ओते उत्साह से नहि मनाबैत छै जतेक उत्साह आ उमंग से  सामान्य लोक. मुदा जखन इ तथाकथित इन्तेलेचुअल आ धनि मणि लोक सब फगुआ खेलैत छथि त एकदम सामान्य जन बनी जैत छथि जेना कोनो भेद भाव नहि हो. यैह त एहि पाबैन के खूबी छियै जे सब एके रंग रंगायल बुझाइत अछि. इ त बुझले अछि जे फगुआ उत्साह, उमंग, भंग, मालपुआ, पिरुकिया इत्यादी के पाबैन थिक. इ पाबैन त नवका वियाहल लोक सब त किछु बेसिए जोश से मनबैत छथि.अपनों गाम में धुरखेल आ फगुआ खूब जमैत अछि. कतौ-कतौ बुरबक लोक सब रंग के बदरंग करैत छथि अपन किरदानी से, मुदा फगुआ तैयौ खूब जमैत अछि.  जोगीरा आ फगुआ के गीत होरी फगुआ जमबई में कोनो कसर नहि छोरैत अछि. कतेक दिन भ गेल, गाम के फगुआ नहि देखलहु.  बुझु त इ दुर्भाग्य थिक की नहि?  फेर याद आबैत अछि.............. एक महिना पहिनहि  से लागैत रहैत छल जे फगुआ आबि गेल. आम में मोजर लागे के देरी की, फगुआ शुरू. कर-कुटुंब के रंग लगायब शुरू भ जायत छल सरस्वतिए पूजा  से. जे कुटुम गाम एलाह, बिना रंगायल नहि घुरलाह. याद आबि रहल अछि गाम के धुरखेल. बीसों बरिस भ गेल शायद, मुदा ओहिना बुझाइत अछि जे ठीक सोझा में भ रहल अछि. सब टोल के लोक ८-९ बजिते तैयारी के साथ घर से निकलि गेल धुरखेल के लेल.  धीया पूता सब त कने सबेरगरे से छौर, थाल, धूरा इत्यादी एक दोसर पर फेंकनाय  शुरू क देलक. फेर होरी आ जोगीरा के सरारा............. शुरू भ गेल. पुबारी टोल के धुरखेल मंडली ते फेमस अछि पुरे गाम में. ओ सब बड्ड आक्रामक शैली में धुरखेल खेलायत अछि.  बाप, पित्ति, भाय, भातिज इत्यादी सब मिल के एकटा गैंग बनेने छै. छौर, धूरा, थाल, गोबर, गूंह... कउनु चीज बागल नहि हुनका सबहक लेल. जे सामना में आयल, तकरे लेप देलहु, पालिश के देलहु तकर मिश्रण से.हलुक-फलुक लोक भेटल त ओकरा कचरा के खाधि में पटैक देलहु. डोका के माला पहिरि,टीन के ढोल बना के ल लेलहू आ घुमई छि  पूरा गाम. एहि धुरखेल के बहाना  से समूचा  गाम के सफाई भ जैत छल. अगिला दिन फेर रंग आ अबीर उरबे करतय. लेकिन धुरखेल में जे सामंजस्य लखा परेत अछि से फगुआ दिन नहि, इ हमरा बुझाइत अछि.

ओना अपनों गाम के फगुआ के रूप बदलि गेल अछि. भंग के जगह पर दारू के किछ बेसिए जोर भ गेल अछि. एहि से छुटकारा भेटबाक चाही. एहि में युवा वर्ग के योगदान आवश्यक अछि. गाम के मंतान्ग्बाक  के दृश्य त' अद्भुत होइत अछि. आशा अछि जे कलही अपना गाम में फगुआ नीक जकां मनायल जायत.  ओना किछु-किछु दुखद घटना के आलोक में पूरा जोश के उम्मीद करनाय बेमानी थिक, मुदा पाबनि मनायब सेहो अबश्यक अछि की नहि?  सब  गोटे  के फगुआ बहुत-बहुत बधाई.  

Sunday, January 1, 2012

2012

Wishing all chainpurians a very happy new year.  May all gods and goddesses bestow their divine showers  on our lovely village.